Bhojpuri Tadka : दीये अउर बाती के दुःख को कोई नहीं समझता – अश्विनी रॉय ’सहर’
“ दीये अउर बाती के दुःख (दीया और बाती का दुःख) केहू ना बूझत भाई रे (कोई नहीं समझता भाई)
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