मेहंदीपुर बालाजी जाने से पहले जान लें ये राज, वरना हो सकती है बड़ी परेशानी | Secrets of Mehandipur Balaji Mandir

Mehandipur Balaji Mandir : भारत विविधता से भरा देश है, यहाँ के लोग आस्था और तांत्रिक ज्ञान और अलौकिक शक्तियों पर भी विश्वास करते हैं। भारत में कई मंदिर हैं, जिनमें से कुछ आज भी रहस्यमयी कहानियों से भरे पड़े हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक है mehandipur balaji जी का मंदिर, जो राजस्थान के दौसा जिले में दो पहाड़ियों के बीच स्थित है। यहां कलयुग के देवता श्री हनुमान जी की पूजा की जाती है। यहां तीन देवताओं की अलग-अलग मूर्तियां हैं, जिनमें हनुमान जी, प्रेतराज सरकार और भैरों बाबा शामिल हैं। यहां तीनों देवताओं को अलग-अलग तरह का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है और उनकी पूजा भी अलग-अलग तरीके से की जाती है। इस मंदिर के बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे, क्योंकि यहां के अजीबोगरीब नजारे, अजीबोगरीब मंदिर के नियम और मंदिर की रहस्यमयी कहानियां सुनकर और देखकर आप परेशान हो जाएंगे। आज के आधुनिक समय में लोग विज्ञान में विश्वास करते हैं, लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में लोग अभी भी भूतों पर विश्वास करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि mehandipur balaji के मंदिर में दूर-दूर से लोग भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति पाने आते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी का मन्दिर (Mehandipur Balaji Mandir)

Mehandipur balaji के एक बहुत बड़े भव्य मंदिर के लिए भारत में प्रसिद्ध है जहां दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान बालाजी की पूजा करने आते हैं। Mehandipur balaji मंदिर दो पहाड़ों के बीच स्थित है, जहां दर्शन के लिए लोगों को श्रृंखला में जाना पड़ता है। मंदिर दो पहाड़ों के बीच स्थित है और यहां हर रोज बहुत से ऐसे लोग देखे जाते हैं जो भूत पिशाच के प्रकोप से पीड़ित हैं और यह मंदिर उन्हें उनकी परेशानियों से मुक्त करता है।

माना जाता है कि Mehandipur balaji मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। यहां के पंडितों के पूर्वज गणेश जी महाराज को सपने में बालाजी दर्शन देते हैं और उन्हें आसपास हो रहे भूत-पिशाच के संकट से मुक्ति दिलाने के लिए मंदिर स्थापित करने का निर्देश देते हैं। तब से लेकर आज तक मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर कई भक्तों की समस्याओं का निवारण करता आ रहा है।

पास में ही गणेश जी महाराज की समाधि भी है। इस मंदिर में भगवान हनुमान की एक भव्य मूर्ति है, जिसके दर्शन करने के बाद एक लड्डू दिया जाता है जिसे मूर्ति के पास खड़े होकर खाया जाता है। यदि किसी व्यक्ति के सिर पर भूत पिशाच का साया हो तो वह अजीब व्यवहार करने लगता है और साथ ही उसे मंदिर के पीछे स्थित पिशाच राज मंदिर में ले जाया जाता है।

पिशाच राज के मंदिर में आपको भूत-पिशाच से पीड़ित कई लोग चीखते-चिल्लाते मिल जाएंगे। उन्हें शारीरिक रूप से कोई नहीं छूता, लेकिन उस मंदिर में पैर रखने मात्र से ही उन्हें बहुत कष्ट होने लगता है। कुछ देर तक इस तरह की परेशानी झेलने के बाद वह शांत हो जाते हैं और इसके बाद उन्हें जल पिलाया जाता है और थोड़ी पूजा के बाद वापस भेज दिया जाता है। आज इस मंदिर में भगवान हनुमान राज और भैरव बाबा की पूजा की जाती है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास (History of Mehandipur Balaji Mandir)

पहले यहां बहुत बीहड़ जंगल था। चारों तरफ फैली घनी झाड़ियों में जंगली जानवरों का बसेरा था। श्री मंहत जी महाराज के पूर्वज को स्वपन आया और वे स्वपन में ही उठकर चले गए। उन्हें नहीं पता था कि वे कहां जा रहे हैं और इसी दौरान उन्होंने एक अजीब सी लीला देखी। एक ओर से हजारों दीपक चल रहे थे। हाथी-घोड़ों की आवाज आ रही थी और विशाल सेना आ रही थी, और उस सेना ने श्री बालाजी महाराज की मूर्ति की तीन प्रदक्षिणा की। सेना के मुखिया ने उतरकर श्री बालाजी महाराज को प्रणाम किया और फिर जिस रास्ते से आए थे, उसी रास्ते से चले गए।

गोसाई जी महाराज यह सब देखकर चकित रह गए। उसे कुछ डर लगा और वह अपने गाँव वापस चले गए, लेकिन उसे नींद नहीं आई और वह बार-बार एक ही विषय के बारे में सोच रहे थे, जैसे ही उनकी आँखें लगी, उन्होंने सपने में तीन मूर्तियाँ देखीं। उनके कानों में यह वाणी पड़ी – “उठो, मेरी सेवा का भार लो। मैं अपनी लीलाओं का विस्तार करूँगा।” यह कौन कह रहा था कोई नजर नहीं आ रहा था। गोसाईजी ने फिर इस बात पर ध्यान नहीं दिया और अंत में हनुमानजी महाराज स्वयं उनके सामने प्रकट हुए और पूजा के लिए अनुरोध किया।

अगले दिन जब गोसाई जी महाराज मूर्ति के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि चारों तरफ से घंटियों, घडि़यालों और नगाड़ों की आवाज आ रही थी, लेकिन कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। इसके बाद श्री गोसाईजी ने आसपास के लोगों को इकट्ठा किया और उन्हें सब कुछ बताया। गोसाईजी ने सभी लोगों के साथ वहां बालाजी महाराज की एक छोटी मूर्ति बनाई, जिसके बाद वहां पूजा शुरू हुई।

मुस्लिम शासन के दौरान कुछ बादशाहों ने इस मूर्ति को नष्ट करने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे। जितना अधिक उन्होंने इसे खोदा, मूर्ति की जड़ उतनी ही गहरी होती गई। थक हारकर उन्हें अपना प्रयास छोड़ना पड़ा। ब्रिटिश शासन के दौरान 1910 में बालाजी ने अपने सैकड़ों वर्ष पुराने चोले का स्वत: त्याग कर दिया। श्रद्धालु इस चोले को पास के मंडावर रेलवे स्टेशन ले गए, जहां से उन्हें चोला गंगा में प्रवाहित करने जाना था। श्रद्धालु इस चोले को पास के मंडावर रेलवे स्टेशन ले गए, जहां से उन्हें इसे गंगा में प्रवाहित करने के लिए जाना था। ब्रिटिश स्टेशन मास्टर ने चोले को मुफ्त में ले जाने से रोका और उसका लगेज करने लगा, लेकिन चमत्कारी चोला कभी ज्यादा तो कभी कम होता। भ्रमित रेलवे स्टेशन मास्टर को आखिरकार इसे बिना लगेज के जाने देना पड़ा और उन्होंने भी बालाजी के चमत्कार को सलाम किया। इसके बाद बालाजी को नया चोला चढ़ाया गया।

बालाजी का यह मंदिर भूत-प्रेत और ऊपरी बाधाओं को रोकने की क्षमता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, ऐसा माना जाता है कि तंत्र, मंत्रादि और अन्य ऊपरी शक्तियों से पीड़ित लोग बालाजी महाराज की कृपा से बिना दवा के स्वस्थ होकर लौटते है।पीड़ित दुखी व्यक्ति को मंदिर पहुंचना चाहिए और तीनों देवताओं की पूजा करनी चाहिए। बालाजी, प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान (भैरव) को लड्डू, चावल और उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

मेहंदीपुर बालाजी के रहस्य (Secrets of Mehandipur Balaji)

वर्तमान समय में Mehandipur balaji मंदिर भारत के सबसे रहस्यमयी मंदिरों में से एक है, जहां हर दिन भूत-पिशाच की घटनाएं देखने को मिलती हैं। आइए जानते हैं मंदिर के कुछ रहस्यों के बारे में |

1. प्रसाद को घर लेकर नहीं जा सकते

आमतौर पर आस्था के हर मंदिर में लोग पूजा के बाद प्रसाद चढ़ाते हैं और उसे घर ले जाते हैं। हालांकि mehandipur balaji मंदिर में ऐसा कोई नियम नहीं है। यहां आप न तो प्रसाद ले सकते हैं और न ही किसी को दे सकते हैं और न ही इस मंदिर के दरबार से प्रसाद घर ले जा सकते माना जाता है कि जो लोग इस नियम का पालन नहीं करते हैं और प्रसाद या अन्य चीजें घर ले जाने की कोशिश करते हैं, उन्हें बुरी आत्माएं परेशान करती हैं।

2. बाईं छाती में छिद्र

Mehandipur balaji मंदिर के भगवान हनुमानजी की मूर्ति में बाईं ओर एक छेद है। यहां से पानी का तेज बहाव हमेशा घेरे में निकलता है। लोगों की मान्यताओं के अनुसार यह बालाजी का पसीना है। यहां बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरों को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग बुरी आत्माओं के साये में हैं, जिन पर बुरी आत्माओं का प्रभुत्व है, उन्हें ये प्रसाद खिलाते ही वे अजीब हरकतें करने लगते हैं।

3. श्रद्धालुओं को करना होता है इन नियमों का पालन

Mehandipur balaji मंदिर में आने वाले सभी तीर्थयात्रियों के लिए यह नियम है कि वे कम से कम एक सप्ताह तक लहसुन, प्याज, शराब, अंडा और मांस का सेवन नहीं कर सकते हैं। वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में हनुमान को भगवान राम का परम भक्त बताया गया है और यही कारण है कि हनुमान मंदिर के पास ही राम सीता का मंदिर भी बना हुआ है। बालाजी मंदिर के ठीक सामने श्री राम सीता की मूर्ति है।

4. अर्जी और दरख्वास्त 2 नियमों से प्रसाद मिलता है

मेहंदीपुर के बालाजी मंदिर में प्रसाद को दो श्रेणियों में बांटा गया है- दरख्वास्त और आरजी। दरख्वास्त को बालाजी मंदिर में हजिरी भी कहा जाता है। हाजरी का प्रसाद दो बार खरीदना होता है और अर्जी में तीन थालियों में प्रसाद मिलता है। मंदिर में दो बार हाजिरी लगाने के बाद, व्यक्ति को तुरंत वहां से निकल जाना चाहिए। आरजी का प्रसाद वापस लौटते समय लिया जाता है, और इसे मंदिर के नियमों के अनुसार अपने हाथों से पीछे की ओर फेंकना चाहिए। ऐसा करते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए।

5. मंदिर में प्रतिदिन दोपहर 2 बजे लगता है दरबार

बालाजी मंदिर के दरबार में तीन देवताओं, हनुमानजी, प्रेतराज सरकार और भैरों बाबा की मूर्तियां हैं। यहां भैरों बाबा की एक मूर्ति है, जिसे कोतवाल कप्तान के नाम से जाना जाता है। प्रेतराज सरकार के दरबार में प्रतिदिन 2 बजे पेशी (कीर्तन) होता है। दूर-दूर से आए लोगों पर भूत-प्रेतों का साया यहां से हट जाता है। इस मंदिर में दूर-दूर से कई यात्री आते हैं और यहां उन्हें भूत पिच प्रेत जैसी समस्याओं से निजात मिलती है।

FAQs

प्रश्न : Mehandipur Balaji Mandir किस राज्य में पड़ता है?

उत्तर : मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है।

प्रश्न : बालाजी जाने के क्या फायदे हैं?

उत्तर : मान्यता है कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में दर्शन करने से भूत-प्रेत जो कि ऊपरी बाधाएं हैं, दूर हो जाती है|

प्रश्न : Mehandipur Balaji Mandir धाम से आने के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर : बालाजी धाम की यात्रा पूरी करने के बाद अगले 41 दिनों तक सिर्फ सात्विक आहार लेना होता है।

प्रश्न : Mehandipur Balaji Mandir में अर्जी लगाने के क्या नियम है?

उत्तर : हाजरी का प्रसाद दो बार खरीदना होता है और अर्जी में तीन थालियों में प्रसाद मिलता है। मंदिर में दो बार हाजिरी लगाने के बाद, व्यक्ति को तुरंत वहां से निकल जाना चाहिए। लौटते समय अर्जी का प्रसाद लिया जाता है, और इसे मंदिर के नियमों के अनुसार अपने हाथों से पीछे की ओर फेंकना चाहिए। प्रसाद फैंकते समय पीछे मुड़कर नहीं देखने का नियम है।

प्रश्न : Mehandipur Balaji Mandir का प्रसाद घर क्यों नहीं लाना चाहिए?

उत्तर : Mehandipur balaji मंदिर से प्रसाद घर नहीं लाना चाहिए क्योंकि भूत-प्रेत से पीड़ित लोग वहां इलाज के लिए आते हैं। अगर आप प्रसाद घर लाते हैं तो आपके साथ भी यह समस्या हो सकती है।

प्रश्न : बालाजी को हिंदी में क्या बोलते हैं?

उत्तर : बालाजी को हिंदी में “हनुमानजी” कहते हैं। वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। उन्हें भगवान राम के परम भक्त के रूप में जाना जाता है। बालाजी को शक्ति, साहस और दया के देवता के रूप में भी पूजा जाता है।

प्रश्न : बालाजी किसके देवता है?

उत्तर : बालाजी, जिन्हें हनुमानजी के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में भगवान राम के परम भक्त हैं। वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। हालांकि, कुछ लोग उन्हें भगवान विष्णु के अवतार के रूप में भी मानते हैं।

प्रश्न : बालाजी को क्या चढ़ाना चाहिए?

उत्तर : बालाजी को फल बहुत प्रिय हैं। उन्हें आम, केला, अंगूर, संतरा, पपीता, और नीबू जैसे फल चढ़ाए जा सकते हैं। बालाजी को मिठाई भी बहुत पसंद है। उन्हें लड्डू, चूरमा, और खीर जैसी मिठाई चढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न : बालाजी का असली नाम क्या है?

उत्तर : तिरुपति बालाजी का वास्तविक नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी है जो स्वयं भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं.

प्रश्न : बालाजी को कैसे खुश करें?

उत्तर : हनुमान चालीसा का पाठ करें: हनुमान चालीसा हनुमान जी की स्तुति में लिखी गई एक प्रसिद्ध प्रार्थना है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से बालाजी प्रसन्न होते हैं। हनुमान जी की पूजा करें: हनुमान जी की पूजा करने से भी उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। पूजा में फूल, धूप, दीप, और प्रसाद चढ़ाएं। हनुमान जी के नाम का जाप करें: हनुमान जी के नाम का जाप करने से भी उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। “राम, राम, हनुमान, हनुमान” का जाप नियमित रूप से करें। सच्ची श्रद्धा और भक्ति रखें: बालाजी को सबसे अधिक प्रसन्न करने वाली चीज सच्ची श्रद्धा और भक्ति है। उन्हें सच्चे दिल से याद करें और उनकी आराधना करें।

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