Chaitra Navratri 2023, चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा सामग्री, पूजा विधि और नौ दिनों का महत्व

Chaitra Navratri 2023 : चैत्र मास से ही हिंदू कैलेंडर की शुरुआत होती है| इसके साथ ही इस महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से Chaitra Navratri की शुरुआत होती है | हिंदू धर्म में Navratri का खास महत्व है | नवरात्रि का त्योहार पूरे भारत में बहुत ही उत्साह और प्रेम के साथ मनाया जाता है| देवी शक्ति दुर्गा को समर्पित इस नौ दिवसीय हिंदू त्योहार में प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के विभिन्न अवतारों की पूजा की जाती है| और बहुत से लोग नौ दिनों का उपवास भी रखते हैं. ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं । साल में मुख्य तौर से दो बार Navratri पर्व बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है, पहली आश्विन माह में पड़ने वाली शारदीय Navratri और दूसरी चैत्र माह में आने वाली चैत्र Navratri| नवरात्रि में लोग देवी मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं। देवी के ये रूप शास्त्रों में इस श्लोक द्वारा उल्लेखित हैं । (Image Source: Canva)

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।

तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।                               

पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।

सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।

उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।

Chaitra Navratri 2023 में कब है।

Chaitra Navratri 22 मार्च 2023 दिन बुधवार से प्रारंभ होगी।

2023 घटस्थापना Chaitra Navratri का शुभ मुहूर्त |

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 22 मार्च 2023 को सुबह 06:29 से  07:39 तक है ।

Navratri के लिए पूजा सामग्री

Navratri की पूजा करते समय इन चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे श्रीदुर्गा की सुंदर प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, लाल रंग की चुनरी, आम के पत्तों का बंदनवार, पुष्प, कपूर, धूप, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, जौ के बीज, जौ के बीज बोने के लिए मिट्टी का बर्तन, पान के पत्ते, लौंग, इलाइची आदि।

घटस्थापना की पूजा विधि

(Image Source: Canva)

लोग अपने घर पर कलश स्थापना पूजा करते हैं। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापित करने के लिए सही विधि नीचे दी गई है :-

  • नवरात्रि पूजा के लिए आप सुबह जल्दी उठें और घर की साफ-सफाई के बाद स्नान करें।
  • आपको उस पूजा कक्ष या उस क्षेत्र को साफ करने की जरूरत है जहां आप घटस्थापना करने वाले हैं।
  • घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन स्थापित किया जाता है।
  • सबसे पहले घट में थोड़ी मिट्टी डाल दें। फिर उसमें जौ डालें । फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें। फिर एक बार और जौ डालें।  और फिर से मिट्टी की परत बिछा दें। अब इस पर जल का छिड़काव करें। इस तरह ऊपर तक पात्र को मिट्टी से भर दें। अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें।
  • जहां घट स्थापित करना है, वहां एक पाट रखें और उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर फिर उस पर घट स्थापित करें। घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं। घट के गले में मौली बांधे।
  • अब एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर धागा (मोली) बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र अर्थात घट के उपर रखें। अब कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें, पत्तों के बीच में धागा बंधा हुआ नारियल लाल कपड़े या लाल चुनरी में लपेटकर रखें।
  • अब घट की पूजा करें। इसके बाद गणेश वंदना करें और फिर माता का स्मरण करें।
  • अब देवी- देवताओं का स्मरण करते हुए प्रार्थना करें कि ‘हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।’
  • स्मरण करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें।
  • नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना की पूजा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इसे करने वाले व्यक्ति के लिए अच्छा स्वास्थ्य, धन और समृद्धि लाने के लिए फायदेमंद साबित होती है।

2023 चैत्र Navratri तिथि और नौ दिनों का महत्व क्या है

त्योहार के दौरान, मां के भक्त नौ दिनों तक देवी के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। आइए जानें सभी नौ दिनों का महत्व क्या है।

पहला दिन – शैलपुत्री की पूजा

दिनांक – 22 मार्च 2023

इस दिन भक्त देवी शैलपुत्री की पूजा करते हैं । इस दिन कई भक्त अपने घरों में कलश रखते हैं । देवी शैलपुत्री का वाहन वृषभ है और माथे पर अर्धचंद्र है और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है।

दूसरा दिन – ब्रह्मचारिणी की पूजा

दिनांक –23 मार्च 2023

नवरात्रि के दूसरे दिन देवी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है | देवी ब्रह्मचारिणी ज्ञान और दृढ़ संकल्प का प्रतिनिधित्व करती हैं |

तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा की पूजा

दिनांक – 24 मार्च 2023

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है | इनके मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है जिससे इनका यह नाम पड़ा| माता ने अपने दस  हाथो में अस्त्र -शस्त्र धारण किये हुए हैं| परन्तु  देवी का यह रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है|

चौथा दिन – देवी कुष्मांडा की पूजा

दिनांक – 25 मार्च 2023

चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि देवी ने अपनी हल्की हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था | देवी दुर्गा का ये रूप सिंह पर सवार है और इनके आठ हाथों  में वह कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, माला ,अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा लिए हैं।

पांचवा दिन – स्कंदमाता की पूजा

दिनांक – 26 मार्च 2023

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा करते हैं। माना जाता है कि इनकी कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी हो जाता है| इनकी गोद में इनका पुत्र स्कंद होता है। चार भुजाओं वाली देवी हाथों में कमल धारण करती हैं और अन्य दो में एक पवित्र कमंडल और एक घंटी है।

छठा दिन – देवी कात्यायनी की पूजा

दिनांक – 27 मार्च 2023

मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है| ऐसा माना जाता है कि महिषासुर नामक राक्षस को मारने के लिए, मां पार्वती ने देवी कात्यायनी का रूप धारण किया। देवी पार्वती के इस रूप को सभी रूपों में सबसे प्रचंड कहा जाता है।

सातवां दिन –  कालरात्रि पूजा

दिनांक – 28 मार्च 2023

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है | देवी के नाम से ही पता चलता है कि इनका रूप भयानक है| इनके तीन नेत्र और शरीर का रंग एकदम काला है | इनकी कृपा से भक्त सभी प्रकार के भय से मुक्त हो जाते हैं।

आठवां दिन – महागौरी की पूजा

दिनांक – 29 मार्च 2023

मां दुर्गा की आठवीं शक्ति को महागौरी कहा जाता है। माता महागौरी पवित्रता और शांति का प्रतीक हैं । इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद होने की वजह से इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है| महा अष्टमी पर, भक्त उनका आशीर्वाद लेने के लिए उपवास करते हैं।

नौवां रूप – देवी सिद्धिदात्री की पूजा

दिनांक – 30 मार्च 2023

नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री की कृपा से ये सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं | इनकी कृपा से ही महादेव का आधा शरीर देवी का हुआ था और वह अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए | और नौवें दिन भक्त कन्या की पूजा करते हैं |

नवरात्रि के व्रत में क्या खाएं?

नवरात्रि के दौरान, आप जो खाते हैं उसके बारे में आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि कई बार लोग जाने अनजाने में व्रत में ऐसी चीजों का सेवन कर लेते हैं, जिन्हें नहीं खाना चाहिए। नवरात्रि व्रत के दौरान चाय-कॉफी पीने से परहेज करें। लेकिन आप नींबू पानी, शिकंजी, जूस, नारियल पानी, और छाछ पी सकते हैं।

कुछ खाद्य पदार्थ जो आमतौर पर उपवास के दौरान खाए जाते हैं, जैसे साबूदाना वडा, साबूदाने की खिचड़ी, सिंघाड़े का हलवा, कुट्टू की पूरी का सेवन भी व्रत के दौरान किया जा सकता है। इसी के साथ आप इस व्रत में सेब जैसे फलों का सेवन भी कर सकते हैं।

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FAQ

प्रश्न : 2023 में Chaitra Navratri कब है ?

उत्तर : 22 मार्च 2023

प्रश्न : एक साल में कितनी बार Navratri आती है ?

उत्तर : साल भर में कुल चार बार नवरात्रि आती हैं। दो गुप्त नवरात्रि होते हैं और दो तो सभी जानते हैं ।

प्रश्न : Navratri में लोग उपवास क्यों  रखते हैं?

उत्तर : नवरात्रि के दौरान, हिंदू भक्त देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए नौ दिनों तक उपवास रखते हैं ।

प्रश्न : Navratri व्रत कब तोड़ना चाहिए?

उत्तर : जिस दिन कंजक पूजा की जाती है, उस दिन व्रत तोड़ा जाता है। कुछ लोग कंजक पूजा 8वें दिन (अष्टमी को) करते हैं और कुछ 9वें दिन (नवमी को ) करते हैं।

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